धर्म को मैं जीने की कला कहता हूं। वह आर्ट ऑफ लिविंग है। धर्म जीवन का त्याग नहीं, जीवन की गहराइयों में उतरने की सीढ़ियां है। धर्म जीवन की तरफ पीठ कर लेना नहीं, जीवन की तरफ पूरी तरह आंख खोलना है। धर्म जीवन से भागना नहीं, जीवन को पूरा आलिंगन में लेने का नाम है। धर्म है जीवन का पूरा साक्षात्कार।