Neha Sharma

40%
Flag icon
जीवन अपनी ज्वाला से आप ज्वलित है, अपनी तरंग से आप समुद्वेलित है। तुम वृथा ज्योति के लिए कहाँ जाओगे? है जहाँ आग, आलोक वहीं पाओगे।
परशुराम की प्रतीक्षा
Rate this book
Clear rating