Neha Sharma

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सिखलायेगा वह, ऋत एक ही अनल है, जिन्दगी नहीं वह, जहाँ नहीं हलचल है। जिनमें दाहकता नहीं, न तो गर्जन है, सुख की तरंग का जहाँ अन्ध वर्जन है, जो सत्य राख में सने, रुक्ष, रूठे हैं, छोड़ो उनको, वे सही नहीं, झूठे हैं।
परशुराम की प्रतीक्षा
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