Divyanshu Pandey

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मत डरो, सन्त यह मुकुट नहीं माँगेगा, धन के निमित्त यह धर्म नहीं त्यागेगा। तुम सोओगे, तब भी यह ऋषि जागेगा, ठन गया युद्ध तो बम-गोले दागेगा।
परशुराम की प्रतीक्षा
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