Divyanshu Pandey

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उद्‌देश्य जन्म का नहीं कीर्त्ति या धन है, सुख नहीं, धर्म भी नहीं, न तो दर्शन है; विज्ञान, ज्ञान-बल नहीं, न तो चिन्तन है, जीवन का अन्तिम ध्येय स्वयं जीवन है। सबसे स्वतन्त्र यह रस जो अनघ पियेगा, पूरा जीवन केवल वह वीर जियेगा।
परशुराम की प्रतीक्षा
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