Abhijeet Gaurav

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अहा, पुकार कर्म की; अहा, री पीर मर्म की, अहा, कि प्रीति भेंट जा चढ़ी कठोर धर्म की। अहा, कि आँसुओं में मुस्करा रहीं जवानियाँ।
परशुराम की प्रतीक्षा
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