Abhijeet Gaurav

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चिन्तको! चिन्तना की तलवार गढ़ो रे! ऋषियो! कृशानु-उद्‌दीपन मन्त्र पढ़ो रे! योगियो! जगो, जीवन की ओर बढ़ो रे! बन्दूकों पर अपना आलोक मढ़ो रे! है जहाँ कहीं भी तेज, हमें पाना है, रण में समग्र भारत को ले जाना है।
परशुराम की प्रतीक्षा
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