Abhijeet Gaurav

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आँधियाँ नहीं जिसमें उमंग भरती हैं, छातियाँ जहाँ संगीनों से डरती हैं, शोणित के बदले जहाँ अश्रु बहता है, वह देश कभी स्वाधीन नहीं रहता है।
परशुराम की प्रतीक्षा
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