Abhijeet Gaurav

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छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाये, मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाये। दो बार नहीं यमराज कण्ठ धरता है, मरता है जो, एक ही बार मरता है। तुम स्वयं मरण के मुख पर चरण धरो रे! जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे!
परशुराम की प्रतीक्षा
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