Abhijeet Gaurav

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भामा ह्रादिनी-तरंग, तडिन्माला है, वह नहीं काम की लता, वीर बाला है, आधी हालाहल-धार, अर्ध हाला है। जब भी उठती हुंकार युद्ध-ज्वाला है, चण्डिका कान्त को मुण्ड-माल देती है; रथ के चक्के में भुजा डाल देती है।
परशुराम की प्रतीक्षा
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