Abhijeet Gaurav

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जहाँ शस्त्रबल नहीं, शास्त्र पछताते या रोते हैं। ऋषियों को भी सिद्धि तभी तप से मिलती है, जब पहरे पर स्वयं धनुर्धर राम खड़े होते हैं।
परशुराम की प्रतीक्षा
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