Abhijeet Gaurav

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विनय विफल हो जहाँ, बाण लेना पड़ता है। स्वेच्छा से जो न्याय नहीं देता है, उसको एक रोज आखिर सब-कुछ देना पड़ता है।
परशुराम की प्रतीक्षा
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