Abhijeet Gaurav

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जो पुण्य-पुण्य बक रहे, उन्हें बकने दो, जैसे सदियाँ थक चुकीं, उन्हें थकने दो। पर, देख चुके हम तो सब पुण्य कमा कर, सौभाग्य, मान, गौरव, अभिमान गँवाकर। वे पियें शीत, तुम आतप-घाम पियो रे! वे जपें नाम, तुम बनकर राम जियो रे!
परशुराम की प्रतीक्षा
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