Abhijeet Gaurav

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जब कभी अहं पर नियति चोट देती है, कुछ चीज अहं से बड़ी जन्म लेती है। नर पर जब भी भीषण विपत्ति आती है, वह उसे और दुर्धर्ष बना जाती है।
परशुराम की प्रतीक्षा
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