Abhijeet Gaurav

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खोजता पुरुष सौन्दर्य, त्रिया प्रतिभा को, नारी चरित्र-बल को, नर मात्र त्वचा को। श्री नहीं पाणि जिसके सिर पर धरती है, भामिनी हृदय से उसे नहीं वरती है। पाओ रमणी का हृदय विजय अपनाकर, या बसो वहाँ बन कसक वीर-गति पाकर।
परशुराम की प्रतीक्षा
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