Koustubh

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बाधाएँ आती हैं आएँ, घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पाँवों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों से हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा। हास्य-रुदन में, तूफानों में, अमर असंख्यक बलिदानों में, उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में उन्नत मस्तक, उभरा सीना, पीड़ाओं में पलना होगा! कदम मिलाकर चलना होगा। उजियारे में, अंधकार में, कल कछार में, बीच धार में, घोर घृणा में, पूत प्यार में, क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में, जीवन के शत-शत आकर्षक, अरमानों को दलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा। सम्मुख फैला अमर ध्येय-पथ, प्रगति चिरंतन कैसा इति-अथ, सुस्मित हर्षित कैसा श्रम ...more
चुनी हुई कविताएँ
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