Nitish Kumar Singh

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हम पड़ाव को समझे मंजिल, लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल, वर्तमान के मोहजाल में आनेवाला कल न भुलाएँ। आओ फिर से दिया जलाएँ।
चुनी हुई कविताएँ
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