Prabhat Gaurav

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चिन्तन की लहरों के समान सौन्दर्य-लहर में भी है बल, सातों अम्बर तक उड़ता है रूपसी नारि का स्वर्णांचल। जिस मधुर भूमिका में जन को दर्शन-तरंग पहुँचाती है,
उर्वशी
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