Prabhat Gaurav

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पति के सिवा योषिता का कोई आधार नहीं है। जब तक है यह दशा, नारियाँ व्यथा कहाँ खोएँगी? आँसू छिपा हँसेंगी, फिर हँसते-हँसते रोएँगी।
उर्वशी
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