Prabhat Gaurav

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अप्सरियाँ जो करें, किन्तु, हम मर्त्य योषिताओं के जीवन का आनन्द-कोष केवल मधुपूर्ण हृदय है। हृदय नहीं त्यागता हमें यौवन के तज देने पर, न तो जीर्णता के आने पर हृदय जीर्ण होता है।
उर्वशी
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