Tarkash (Hindi)
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Read between November 29 - November 29, 2020
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जिसे छू लूँ मैं वो हो जाए सोना तुझे देखा तो जाना बद्दुआ थी
58%
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अपनी वजहे-बरबादी सुनिये तो मज़े की है ज़िंदगी से यूँ खेले जैसे दूसरे की है
65%
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अकसर वो कहते हैं वो बस मेरे हैं अकसर क्यूँ कहते हैं हैरत होती है
70%
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चार लफ़्ज़ों में कहो जो भी कहो उसको कब फ़ुरसत सुने फ़रियाद सब तल्ख़ियाँ1 कैसे न हों अशआर2 में हम पे जो गुज़री हमें है याद सब
71%
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जो पर समेटे तो इक शाख़ भी नहीं पाई खुले थे पर तो मिरा आसमान था सारा
71%
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लो देख लो ये इश्क़ है ये वस्ल1 है ये हिज्र 2 अब लौट चलें आओ बहुत काम पड़ा है
71%
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बेदस्तोपा3 हूँ आज तो इल्ज़ाम किसको दूँ कल मैंने ही बुना था ये मेरा ही जाल है
74%
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ज़ख़्म तो हमने इन आँखों से देखे हैं लोगों से सुनते हैं मरहम होता है
84%
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एक खिलौना जोगी से खो गया था बचपन में ढूँढता फिरा उसको वो नगर-नगर तनहा
96%
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नेकी इक दिन काम आती है हमको क्या समझाते हो हमने बेबस मरते देखे कैसे प्यारे-प्यारे लोग