Tarkash (Hindi)
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Read between May 31 - June 1, 2022
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मैं अब जिस घर में रहता हूँ बहुत ही ख़ूबसूरत है मगर अकसर यहाँ ख़ामोश बैठा याद करता हूँ वो कमरा बात करता था।
Shubham Singh Baghel
Ghar yad aata hai.
58%
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सब का ख़ुशी से फ़ासला एक क़दम है हर घर में बस एक ही कमरा कम है
Shubham Singh Baghel
Imp 💡
74%
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सच ये है बेकार हमें ग़म होता है जो चाहा था दुनिया में कम होता है
74%
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ग़ैरों को कब फ़ुरसत है दुख देने की जब होता है कोई हमदम होता है
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तुम्हें भी याद नहीं और मैं भी भूल गया वो लम्हा कितना हसीं था मगर फ़ुज़ूल1 गया
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रात सर पर है और सफ़र बाक़ी हमको चलना ज़रा सवेरे था।