Aditya Mishra

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रश्मि-देश की राह यहाँ तम से होकर जाती है, उषा रोज रजनी के सिर पर चढ़ी हुई आती है। और कौन है, पड़ा नहीं जो कभी पाप-कारा में? किसके वसन नहीं भींगे वैतरणी की धारा में? अथ से ले इति तक किसका पथ रहा सदा उज्ज्वल है? तोड़ न सके तिमिर का बन्धन, इतना कौन अबल है?
कुरुक्षेत्र
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