कुरुक्षेत्र
Rate it:
Read between May 27 - May 28, 2023
2%
Flag icon
सच तो यह है कि “यन्न भारते तन्न भारते” की कहावत अब भी बिलकुल खोखली नहीं हुई है। जब से मैंने महाभारत में भीष्म द्वारा कथित राजतंत्रहीन समाज एवं ध्वंसीकरण की नीति (स्कार्च्ड अर्थ पालिसी) का वर्णन पढ़ा है, तब से मेरी यह आस्था और भी बलवती हो गयी है।
6%
Flag icon
“हम वहाँ पर हैं, महाभारत जहाँ दीखता है स्वप्न अन्तःशून्य-सा, जो घटित-सा तो कभी लगता, मगर, अर्थ जिसका अब न कोई याद है।
13%
Flag icon
रुग्ण होना चाहता कोई नहीं, रोग लेकिन आ गया जब पास हो, तिक्त ओषधि के सिवा उपचार क्या? शमित होगा वह नहीं मिष्टान्न से।
15%
Flag icon
और जब तूने उलझ कर व्यक्ति के सद्धर्म में क्लीव-सा देखा किया लज्जा-हरण निज नारि का, (द्रौपदी के साथ ही लज्जा हरी थी जा रही उस बड़े समुदाय की, जो पाण्डवों के साथ था) और तूने कुछ नहीं उपचार था उस दिन किया; सो बता क्या पुण्य था? या पुण्यमय था क्रोध वह, जल उठा था आग-सा जो लोचनों में भीम के?
18%
Flag icon
शान्ति नहीं तब तक, जब तक सुख-भाग न नर का सम हो, नहीं किसी को बहुत अधिक हो, नहीं किसी को कम हो।
20%
Flag icon
क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो। उसको क्या, जो दन्तहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो?
21%
Flag icon
जेता के विभूषण सहिष्णुता-क्षमा हैं, किन्तु हारी हुई जाति की सहिष्णुताऽभिशाप है।
58%
Flag icon
श्रेय होगा मनुज का समता-विधायक ज्ञान, स्नेह-सिञ्वित न्याय पर नव विश्व का निर्माण। एक नर में अन्य का निःशंक, दृढ़ विश्वास, धर्मदीप्त मनुष्य का उज्ज्वल नया इतिहास– समर, शोषण, ह्रास की विरुदावली से हीन, पृष्ठ जिसका एक भी होगा न दग्ध, मलीन। मनुज का इतिहास, जो होगा सुधामय कोष, छलकता होगा सभी नर का जहाँ संतोष।
60%
Flag icon
रश्मि-देश की राह यहाँ तम से होकर जाती है, उषा रोज रजनी के सिर पर चढ़ी हुई आती है। और कौन है, पड़ा नहीं जो कभी पाप-कारा में? किसके वसन नहीं भींगे वैतरणी की धारा में? अथ से ले इति तक किसका पथ रहा सदा उज्ज्वल है? तोड़ न सके तिमिर का बन्धन, इतना कौन अबल है?
65%
Flag icon
“प्रकृति नहीं डर कर झुकती है कभी भाग्य के बल से, सदा हारती वह मनुष्य के उद्यम से; श्रमजल से।
92%
Flag icon
इकबाल ने कहा है:– जो अक़्ल का गुलाम हो, वो दिल न कर क़बूल। गुज़र जा अक़्ल से आगे कि यह नूर चिराग़े-राह है, मंज़िल नहीं है।