Aishwarya Agarwal

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सावधान, मनुष्य! यदि विज्ञान है तलवार, तो इसे दे फेंक, तज कर मोह, स्मृति के पार। हो चुका है सिद्ध, है तू शिशु अभी नादान; फूल-काँटों की तुझे कुछ भी नहीं पहचान। खेल सकता तू नहीं ले हाथ में तलवार; काट लेगा अंग, तीखी है बड़ी यह धार।
कुरुक्षेत्र
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