Aishwarya Agarwal

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“बचो युधिष्ठिर, कहीं डुबो दे तुम्हें न यह चिन्तन में, निष्क्रियता का धूम भयानक भर न जाय जीवन में। “यह विरक्ति निष्कर्म बुद्धि की ऐसी क्षिप्र लहर है, एक बार जो उड़ा, लौट सकता न पुन: वह घर है।
कुरुक्षेत्र
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