Aishwarya Agarwal

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“पौधों से कहती यह, तुम मत बढ़ो, वृद्धि ही दुख है, आत्मा-नाश है मुक्ति महत्तम, मुरझाना ही सुख है। “सुविकच, स्वस्थ, सुरम्य सुमन को मरण-भीति दिखला कर, करती है रस-भंग, काल का भोजन उसे बता कर।
कुरुक्षेत्र
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