Ashutosh Parauha

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कर्मभूमि के निकट विरागी को प्रत्यागत पाकर बोले भीष्म युधिष्ठिर का ही मनोभाव दुहराकर। “अन्त नहीं नर-पंथ का, कुरुक्षेत्र की धूल, आँसू बरसें, तो यहीं खिले शान्ति का फूल।
कुरुक्षेत्र
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