Ashutosh Parauha

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सृष्टि को निज बुद्धि से करता हुआ परिमेय, चीरता परमाणु की सत्ता असीम, अजेय, बुद्धि के पवमान में उड़ता हुआ असहाय जा रहा तू किस दिशा की ओर को निरुपाय? लक्ष्य क्या? उद्देश्य क्या? क्या अर्थ? यह नहीं यदि ज्ञात, तो विज्ञान का श्रम व्यर्थ।
कुरुक्षेत्र
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