Ashutosh Parauha

51%
Flag icon
“कहिये मत दीप्ति इसे बल की, यह दारद है, रण का ज्वर है; यह दानवता की शिखा है मनुष्य में, राग की आग भयंकर है; यह बुद्धि-प्रमाद है, भ्रान्ति में सत्य को देख नहीं सकता नर है; कुरुवंश में आग लगी, तो उसे दिखता जलता अपना घर है।
कुरुक्षेत्र
Rate this book
Clear rating