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Kindle Notes & Highlights
बातें जो हमें अच्छी लगती हैं वो हमें धीरे-धीरे सहलाकर शांत कर देती हैं।
असल में बातें हमेशा अधूरी ही रहती हैं। ऐसा तो कभी होता ही नहीं कि हम बोल पाएँ कि मेरी उससे जिंदगी भर की सारी बातें पूरी हो गईं। हम सभी अपने-अपने हिस्से की अधूरी बातों के साथ ही एक दिन यूँ ही मर जाएँगे।
“सब एक जैसा खराब बनाती है।”
“लड़के सारे ही useless होते हैं कुछ शादी के पहले होते हैं कुछ शादी के बाद हो जाते हैं।
‘जिंदगी के स्कूल में टाइम-टेबल के हिसाब से क्लास नहीं लगती। जो टाइम-टेबल के हिसाब से जिया वो पक्का फेल होता है।’
लव स्टोरी सैड हो या हैप्पी मैं बिना दारू के झेल नहीं पाती।”
सिगरेट तुम पीते नहीं हो, देवदास क्या खाक बनोगे!”
सिगरेट नहीं सुलगती, बंदा बाकी तमाम वजहों से यूँ ही अपने-आप सुलगता रहता है। बस ब्लेम सिगरेट को करता है।”
“क्यूँकि तुम सिगरेट हो मेरी, तुम्हें तो साँसें दे दीं यार।”
“आदतें मुश्किल से छूटती हैं इसलिए।”
पूरी जिंदगी पता नहीं क्या कमाने की फिक्र में हम समझ ही नहीं पाते कि बचाना क्या है और बेचना क्या।
“वो रिश्ते कभी लंबे नहीं चलते जिनमें सबकुछ जान लिया जाता है।”
“यार समंदर के किनारे गीली मिट्टी पर चलते हुए लगता है कोई बस प्यार से गले लगा ले। प्यार गीली रेत जैसा ही तो होता है। कब पैर के नीचे से फिसल जाए पता नहीं चलता
समंदर जितना बेचैन होता है हम उसके पास पहुँचकर उतना ही शांत हो जाते हैं।
एक-आधे मोमेंट को पकड़कर छूने का मौका जिंदगी सबको देती है। चंदर के लिए ये वही एक मोमेंट था। चंदर ने अपनी आँखों से इस पल को फ्रीज करके कहीं रख लिया था। हम यादें कहाँ रखते हैं ये तो खैर किसी को पता नहीं होता। काश! कि हम अपनी यादें समझ पाते। काश! कि हम जिंदगी समझ पाते, काश! कि हम मोमेंट थोड़ा लंबे टाइम तक पकड़ पाते।
“यही कि हम शादी को डबलबेड और डबलबेड को शादी समझ लेते हैं।
चंदर ने निशान को महसूस किया और उसको अपनी सहलाहट से भरने की कोशिश करने लगा। कमरे के उजाले ने सुधा और चंदर की परछाइयों को मिलाकर एक कर दिया। चंदर और सुधा दोनों ने एक-दूसरे के समंदर को अपने होंठों से छुआ। ऐसे छुआ जिससे एक-दूसरे का कोई भी कोना सूखा न रहे। सुधा ने चंदर की महक से साँस ली। चंदर ने कमरे के अंधेरे को अपनी आँखों में भर लिया। कपड़ों ने अपने-आप को खुद ही आजाद कर लिया और कमरे के कोने में जाकर पसर गए। गद्दे पर जैसे चंदर और सुधा एक-दूसरे में घुले जा रहे थे, गद्दे के पास रखे दोनों के कपड़े एक-दूसरे में उलझे जा रहे थे। कपड़ों में थोड़ी-सी रेत, थोड़ी-सी शाम, थोड़ा उजाला और थोड़ा-सा समंदर था। चंदर और
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दो लोग जब बहुत पास आ जाते हैं तो उनकी आलमारियाँ एक हो जाती हैं। थोड़ा और पास आ जाते हैं तो आलमारी में जगह कम पड़ने लगती है।
कभी-कभी दो लोगों में प्यार के लिए पसंद नहीं नापसंद मिलने चाहिए, ताकि वो एक-दूसरे को छू पाएँ।”
जिंदगी एक ऐसा राज़ है जो बिना जाने हर जेनेरेशन बस आगे बढ़ाते चले जाती है।
जो लोग प्यार में होते हैं वो अपने साथ एक शहर, एक दुनिया लेकर चलते हैं।
“बस कोई बिना रोमांस वाला प्यार करे।”
“रोमांस विथ टाइमिंग,
“प्यार के लिए सेक्स जरूरी है, सेक्स के लिए प्यार नहीं, डफर।”
जिंदगी की औकात बस ब्ला ब्ला ब्ला भर की है, हम ब्ला ब्ला ब्ला करने आते हैं और ब्ला ब्ला ब्ला करके चले जाते हैं।
रोते हुए हम अपने सबसे करीब होते हैं और हँसते हुए दूसरों के।
“हमारे पास एक-दूसरे की यादें बहुत कम हैं। जब बंदा चला जाता है तो हमें पहली बार याद आता है कि हम तमाम यादें बना सकते थे लेकिन बना नहीं पाए। हम मरने के बाद जाने वाले की वो यादें याद करते हैं जो हमने अभी बनाई नहीं होती।”
“बाहर से हमारी लाइफ जितनी परफेक्ट दिखती है उतनी होती नहीं।” “परफेक्ट लाइफ भी कोई लाइफ हुई!”
हमें जो कुछ भी मिल जाता है वो मिट्टी हो जाता है।”
“मुझे कैफे खोलने का मन है। एक ऐसा कैफे जिसमें खूब सारी किताबें हों। लोग आएँ, बैठें, बातें करें, किताब पढ़ें, अपने घूमने का प्लान बनाएँ, अपनी भागती हुई जिंदगी के बारे में ठहरकर सोचें। अपनी कहानियाँ सुनाएँ। अपने डर सुनाएँ, अपनी गलतियाँ बताएँ, अपनी यादें दोहराएँ। इत्मीनान से बैठकर अपनी यादों को दोहराने से बड़ा कोई सुख नहीं है। कभी-कभी सोचता हूँ एक बेटी हो मेरी जिससे मैं खूब सारी बातें करूँ। मैं बच्चों को कहानियाँ सुनाऊँ
“लाइफ की कोई मीनिंग नहीं होती। उसमें मीनिंग डालना पड़ता है। कभी अपने पागलपन से तो कभी अपने सपनों से। Actually सपने आते ही केवल पागलों को हैं। लाइफ में हर कोई बेचैन भी तो नहीं होता न! बिना बीमारी के जब बेचैनी रहने लगे तो समझ जाना कि लाइफ तुमसे मिलना चाहती है।”
“हम सब लोग बस अपनी बोरियत मिटाने के लिए जिंदा हैं। जिस दिन बोरियत मिटाते-मिटाते हम थक जाते हैं उस दिन हम मर जाते हैं। लाइफ की सबसे अच्छी चीज यही है कि हम सभी एक-न-एक दिन थक जाते हैं।”
“यार बड़े अजीब हो तुम, लड़की हनीमून जाने के लिए पूछ रही है और तुम उस नयी-नवेली दुल्हन जैसे शरमा रहे हो जो सुहागरात से पहले दूध का बड़ा वाला ग्लास देख के शरमाती है।
“लाइफ भी मजाक है। लाइफ को जितना ज्यादा seriously लोगे न, लाइफ उससे भी ज्यादा लेगी तुम्हारी।”
ऐसा कहा जाता है कि Havelock में राधानगर नाम का जो बीच है वहाँ सूरज इतनी खूबसूरती से डूबता है कि घड़ी खुद सूरज को डूबता हुआ देखने के चक्कर में कुछ देर तक रुक जाया करती है।
पहली बार जब दो लोग सबसे करीब आए होंगे तो वो जरूर समंदर का किनारा रहा होगा, सूरज डूब रहा होगा। उन दोनों लोगों ने दिन को डूबने से पहले रोकने की पहली कोशिश की होगी। दिन को रोकने की कोशिश में वो मिलकर पहली बार एक हुए होंगे। ऐसा एक हुए होंगे कि सूरज ने डूबने के बाद 15-20 मिनट उजाला रखा होगा ताकि वो धुँधले उजाले में घुलकर शाम हो जाएँ। दुनिया तब से ऐसे ही रोज शाम को उन दो लोगों को खोजती है जो दिन को रोकना चाहते हैं।
उस दुनिया में कदम रखने की पहली शर्त है, फुर्सत।
“यही कि सेक्स के जस्ट बाद जब लड़की लड़के की आँख में जो कुछ ढूँढ़ती है न वही होता है प्यार और उस ढूँढ़ने में जब पहली बार पलक झपकती है वो होती है पहली बातचीत।
जो दिन तेजी से बीत जाते हैं, वो अच्छे होते हैं।
जिंदगी असल में बस कुछ-न-कुछ ढूँढ़ते रहने की ही कहानी है। कुछ न मिला तो वो ढूँढ़ना है जो नहीं मिलता। जब वो मिल जाए तो वो कुछ नया ढूँढ़ना शुरू कर देना। जिस दिन हमें पता चल जाता है कि हम सही में क्या ढूँढ़ने आए हैं ठीक उसी दिन जिंदगी हमारी तरफ पहला कदम बढ़ाकर हमें ढूँढ़ना शुरू कर देती है।
वैसे भी पति से कुंडली मिले-न-मिले लड़के की सास और घर की बाई से कुंडली मिलनी चाहिए।”
आती हुई हर बात अच्छी लगती है, बातें, बारिश, धूप, समंदर सबकुछ। वै
“बेटा तुम्हारे मुँह से ‘मम्मी जी’ बहुत अच्छा सुनाई दिया।”