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नयी जिंदगी हमेशा नयी उम्मीद लेकर आती है, नयी बातों की, नयी दुनिया की, नयी गलतियों की।
“तुम्हें मेरे साथ रहने के लिए रीजन की जरूरत है और वो रीजन शादी है, मैं नहीं हूँ। कभी सोचा है तुमने कि शादी चाहिए क्यूँ होती है। एक मिनट के लिए सोचो जरा, मान लो दुनिया में बस हम दो लोग होते तो हमें साथ-साथ रहने के लिए शादी की जरूरत होती? शादी दो लोगों के बीच होती ही नहीं है। शादी की जरूरत ही तब होती है जब दुनिया में तीन लोग हों।”
“वही तो मैं भी कह रही हूँ जिंदगी लॉजिक से नहीं चलती। लॉजिक से चलती तो शादी के लिए कभी का हाँ कर दिया होता। जानते हो हम सबका future बस एक ही है। अपने-आप को रोज पागल होने से बचाने तक, जीते चले जाना। बस मैं अपने तरीके से पागल होना चाहती हूँ।”
पुरानी जगहों पर इसलिए भी जाते रहना चाहिए क्यूँकि वहाँ पर हमारा पास्ट हमारे प्रेजेंट से आकर मिलता है।
हमारी असली यात्रा उस दिन शुरू होती है जिस दिन हमारा दुनिया की हर चीज से, हर रिश्ते से, भगवान पर से विश्वास उठ जाता है और यात्रा उस दिन खत्म होती है जिस दिन ये सारे विश्वास लौटकर हमें गले लगा लेते हैं।
हमारी जिंदगी के कई असली केवल इसीलिए असली हैं क्यूँकि वो अभी तक नकली साबित नहीं हुए हैं।
शहरों की नापतौल वहाँ रहने वाले लोगों की नींद से करनी चाहिए। शहर छोटा या बड़ा वहाँ रहने वालों की नींद से होता है।
ठिकाना तो कोई भी शहर दे देता है, गहरी नींद कम शहर दे पाते हैं।
हम सभी का अपना एक फेवरेट शहर होता है जहाँ हम रिटायर होने के बाद रहना चाहते हैं। कमाल की बात है कि हम उस शहर का पता जानने के बाद भी कभी वहाँ पहुँच नहीं पाते। अगर जिंदगी के पते पर पहुँचना इतना आसान होता तो जिंदगी की औकात दो नंबर के GK के सवाल भर की होती।
असल में किताबें दोस्त तब बनती हैं जब हम सालों बाद उन्हें पहली बार की तरह छूते हैं। किताबें खोलकर अपनी पुरानी अंडरलाइन्स को ढूँढ़-ढूँढ़कर छूने की कोशिश करते हैं। किसी को समझना हो तो उसकी शेल्फ में लगी किताबों को देख लेना चाहिए, किसी कि आत्मा समझनी हो तो उन किताबों में लगी अंडरलाइन को पढ़ना चाहिए।
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‘यदि प्रत्येक व्यक्ति अपनी जीवनी लिखने लगे तो संसार में सुंदर पुस्तकों की कमी न रहे’।
किताबें मजा देती हैं और अच्छी किताबें मजे-मजे में पता नहीं कब बेचैनी दे देती हैं।
अपनी जिंदगी के बारे में किताब की तरह सोचने से समझ में आता है कि हम रोज कैसी टुच्ची जिंदगी जीने के लिए मरे जा रहे हैं।
गुस्सा जब बढ़ जाता है तो दुनिया को झेलना बड़ा मुश्किल हो जाता है। गुस्सा जब हद से ज्यादा बढ़ जाता है तो अपने-आप को झेलना मुश्किल हो जाता है। कमाल की बात ये है कि हम अपने आप से चाहे जितना गुस्सा हो जाएँ, एक सुबह अपने-आप सब सही हो जाता है।
“क्यूँकि शादी के बाद बिस्तर पर लेटने पर ऊपर पंखें की धूल दिखाई देती है, पंखें की हवा नहीं दिखाई देती।”
“प्यार भी हवा जैसा होता है। बस शुरू में धूल नहीं दिखती।”
जिनके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता वो फैसले जल्दी ले लिया करते हैं।
लाइफ को लेकर प्लान बड़े नहीं, सिम्पल होने चाहिए। प्लान बहुत बड़े हो जाएँ तो लाइफ के लिए ही जगह नहीं बचती।
“शादी का सोचते ही हमारी बातें बोरिंग होने लगीं। तुम मानो या न मानो लेकिन शादी by design थोड़ी बोरिंग होती है। शादी के बोरिंग होने में दोनों लोगों की कोई गलती नहीं होती, it’s design fault you know!”
वैसे भी हम बातों से नहीं दूसरे की आदतों से बोर होते हैं। जब कोई ऐसा मिले जिसकी आदतों से बोर न हो तब झट से कर लेना शादी या फिर जब किसी के साथ रहते हुए शादी की जरूरत ही महसूस न हो तब करना शादी।”
“हम अपने कमरे में जैसे रहते हैं उसी से पता चलता है कि सही में हम कौन है।”
कभी-कभी करीब आने के लिए बस एक शाम चाहिए होती है, बस।
दुनिया में देने लायक अगर कुछ है तो वो है ‘एक दिन सब ठीक हो जाएगा’ की उम्मीद।
“झूठ क्यूँ बोलते हो तुम?” “क्यूँकि झूठ में उम्मीद होती है।” “झूठ आखिर में उम्मीद तोड़ता भी तो है।” “झूठ से ‘आखिर’ तक बात चलती तो है। वर्ना सारे रिश्ते एक शाम में खत्म हो जाएँ।”
एक वक्त के बाद हम बड़े-से-बड़ा दुःख तो बर्दाश्त कर लेते हैं, पर छोटी-से-छोटी खुशी झेली नहीं जाती।
रास्ते केवल वो भटकते हैं जिनको रास्ता पता हो, जिनको रास्ता पता ही नहीं होता उनके भटकने को भटकना नहीं बोला जाता है।
चंदर को समझ आ चुका था जिंदगी की किताब में एंड नहीं केवल और केवल नयी शुरुआत मैटर करती है।