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May 9 - May 11, 2020
जो अधिकारी तनाशा और मल्होत्रा का इस्तेमाल कर रहा था उसकी पहचान अजीत डोवाल के रूप में की गई। डोवाल हाल ही में आईबी के चीफ़ के पद से रिटायर हुए थे। पंजाब के ऑपरेशन ब्लू स्टार के हीरो के रूप में प्रसिद्ध डोवाल को एक अक़्लमन्द मध्यस्थ के रूप में भी जाना जाता था, क्योंकि उन्होंने आईसी 814 के अपहरणकर्ताओं से निपटने की ज़िम्मेदारी भी निभाई थी। वे शायद एकमात्र आईपीएस थे जिन्हें कीर्ति चक्र प्राप्त हुआ है, क्योंकि यह पुरस्कार सैनिक सम्मान के लिए सुरक्षित है।
इसी तरह, बॉलीवुड के सन्दर्भ में भी, हिन्दुस्तान में शायद ही कोई फ़िल्म दाऊद के निवेश के बग़ैर बनाई जा सकी होगी।
मुम्बई के माफ़िया लुटेरे पाकिस्तान की ख़ुफ़िया सेवाओं के लिए इस क़दर काम के साबित हो चुके थे और बदले में वे आईएसआई की गतिविधियों के बारे में इतना कुछ जान चुके थे कि वे भारत तो छोड़िए, अमेरिका को भी कभी नहीं सौंपे जा सकते थे।
वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक और दक्षिणी और मध्य एशियाई मामलों के असिस्टेण्ट सेक्रेटरी रिचर्ड बाउचर से हमारा परिचय कराया | बाउचर को हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच लम्बे अरसे से चले आ रहे विवाद के सिलसिले में संकटमोचक की भूमिका निभाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन वे हिन्दुस्तान-विरोधी तथा पाकिस्तान-समर्थक होने के हेनरी किसिंजर सिण्ड्रोम से ग्रस्त व्यक्ति साबित हुए थे। ध्यान देने की बात है कि किसिंजर अमेरिका के वे अकेले राजनयिक थे जिन्होंने दिवंगत इन्दिरा गाँधी को ‘विच’ कहा था और यह भी कहा था कि ‘हिन्दुस्तानी बास्टईस हैं’।
उन्होंने मेरा उद्धार किया, जब उन्होंने मुझे वह पुस्तक थमाई जो हर संघर्षरत लेखक के लिए बाइबल के समान है – ऐन लमॉट की लिखी पुस्तक बर्ड बाय बर्ड : सम इन्स्ट्रक्शन्स ऑन राइटिंग एण्ड लाइफ़, जिसने मेरे लेखकीय अवरोध से और इस क़दर विपुल जानकारियों की छानबीन की समस्या से पार पाने में मेरी मदद की।
रिटायर्ड एसीपी मधुकर ज़ेण्डे की याद्दाश्त अद्भुत है, जिन्हें चालीस साल पहले घटित वारदातें जस की तस याद हैं। हमें ऐसे और भी लोगों की ज़रूरत है।
एसीपी इक़बाल शेख और एसीपी सुनील देशमुख ने मुझे 1991 की उस लोखण्डवाला मुठभेड़ को शक्ल देने में मदद की, जो दो दशक बीत जाने के बाद आज भी माफ़िया के साथ मुम्बई पुलिस का सबसे बड़ा सनसनीख़ेज़ मुक़ाबला रहा है।