शायर न बनाया होता (An Urdu Ghazal by Suman Pokhrel)

हमारे इश्क को दिल्लगी का घर न बनाया होता
ए संगदिल तुम ने मुहब्बत को जहर न बनाया होता

चादर-‍ए-स्याह-ए-शब मिटा देता सारी दुनिया को
अश्कों से धो धो के अगर हम ने सहर न बनाया होता

इस आवारगी में कहाँ जा के भट्कते हम यारों
लोगों ने इस गावँ को अगर शहर न बनाया होता

ना इन्साफी ही की है तुम ने भी हम पे ए खुदा मेरे
दिल-ए-नाजुक देना था हमे, तो उन्हे पथ्थर न बनाया होता

जिते ही रहते हम, रूठ कर उनका चले जाने से भी
काश ! हम ने उन्हे जान-ए-जिगर न बनाया होता

किधर जाता, किस से मिलता, पहुँचता कहाँ मैं सोचता हूँ
आपने अगर इस तरह मुझको हमसफर न बनाया होता

एक काम तो तुम ने भी अच्छा किया है, सुमन !
पागल कहलाता अगर खुद को शायर न बनाया होता


Suman Pokhrel
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Published on November 12, 2015 17:46
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message 1: by Anuja (new)

Anuja interesting indeed.....izhaar karne ki andaaz.


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सुमन पोखरेल Suman Pokhrel

Suman Pokhrel
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