——– यह कहानी है दो खानदानों के बीच पीढ़ियों से चली आ रही रंजिश की, जिसका अंत देखने सुनने वालो को असंभव लगता था। बदले ज़माने के नये परिवेश में भी राणा और वरमा परिवारों की दुशमनी बरकरार थी, और होती भी कयों ना? इनके पुरखों ने ना जाने कितनी आहुतियाँ दे डाली थी अब तक इन झगड़ों में। सीधे ढररे पर चलते जीवन में जैसे सुरख रंग की मिलावट की आदत पड़ गयी थी इनहे। ——– आज बरसो बाद एक बार फिर से दोनों परिवार आमने सामने थे। कया पुरुष – कया महिला, सबकी आँखों में बरसों का रोष झलक रहा था। एक तरफ वरमा परिवार के म...
Published on April 14, 2015 15:29