ख्वाबों का जहाज़ मोड़ो तो सही कागज़ हौंसलों के&nbs...


ख्वाबों का जहाज़ 


मोड़ो तो सही 
कागज़ हौंसलों के 
बनाओ तो सही
जहाज़ ख़्वाबों के |

जूनून की हथेली पर 
जोश से रगड़ना 
तपिश सी लगेगी
चपटा करते रहना |

ज़ज़्बे की उँगलियों में,
नज़ाकत से थामना
'जा छू ले आसमान'
कहकर फूंक मारना |

उम्मीदों की हवा को
हिम्मत बहुत भाती है 
बाजुओं पर ऐतबार हो
मंज़िलें सिमट आती हैं
झुकाओ तो सही
बुलंदियां भी कई बार
बौनी हो जाती हैं |
गौरव शर्मा
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Published on May 01, 2015 02:05
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