पापी मनहर सुबह सूरज सेकई सवाल किया करता है...आती जाती हवा...



पापी मन
हर सुबह सूरज से
कई सवाल किया करता है...
आती जाती हवाओं में,
जवाब ढूंढा करता है...
भटकती खुशबू को 
पकड़ने के लिए,मन
कैसे कैसे पाप किया करता है |नित नित धूमिल होते
सपनो के लिए...
हर पल बोझिल होती
साँसों के लिए...
पापी मन पर ही
बोझ होता है तर्पण का..
जीवन तो पहले ही
हार जाया करता है..चलती रहती है वक़्त से
खुशियां की छीना तानी...
टूटा है बिखरता है
पर फिर संभल जाया करता है...
आदमी हारता तब है जब
वो खुद से हार जाया करता है...

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Published on March 02, 2015 02:49
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