है सफ़र कठिन और पथरीली ये डगर
तू फक्र कर इस बात पर तेरे कई हैं हमसफ़र
बेच कर खुद को है तूने दूसरो का सब सहा
मूक बैठे थे सभी फिर थाम तूने सच कहा
चल चला चल तू सफ़र पर,
लक्ष्य एक साध कर,
कर विजय,
कर-कमलों की बाधाएं तू त्याग कर,
फिर उठेगा बुझ गया गर,
तू भास्कर होकर नवीण
बन पथिक , अथक, अटल,
रुकना कभी ना तू "प्रवीण"
टूट जाए सैंकड़ो बार भी
तू हार भी, सह वार भी
देख कैसे पलट जायेंगे तब
कुछ हमसफ़र- कुछ यार भी
हाथ थामे संग चलेगा
बस तेरे ही लक्ष्य पर
हमसफ़र अपना ही बन जा
होगा हुजूम फिर साथ ही
सैंकड़ो टुकड़े चुभेंगे पाँव पर
कभी घाव कर, छलाव कर
है सफ़र बुलंदी का पर
गली कूचों से निकलेगी नहर
वो नन्ही चींटी गर बैठ जाती
थक हार कर
कभी ना देते तुम मिसालें
उसकी हमें, हर बात पर
चल चला चल तू सफ़र पर,
लक्ष्य एक साध कर,
कर विजय,
कर-कमलों की बाधाएं तू त्याग कर,
फिर उठेगा बुझ गया गर,
तू भास्कर होकर नवीण
बन पथिक , अथक, अटल,
रुकना कभी ना तू "प्रवीण"
Published on January 28, 2015 18:43