सफलता प्राप्ति का रहस्य

आपको भारत देशमें ऐसे अनेक उदाहरणमिलेंगे कि जोव्यक्ति उच्च शिक्षाप्राप्त करके उच्चाधिकारी बन गए उनकेमाता-पिता साधारण लोग थे. जैसे हेड क्लेर्क, हेड मास्टर, अध्यापकयहां तक कीचपरासी आदि. इसतरह के छोटेकार्य करके उन्होंनेअपने बच्चों कोउच्च शिक्षा प्रदान की और उनके बच्चेयोग्य व वरिष्ठअधिकारी बन गए. लड़कियों को उच्चशिक्षा दी औरउनकी बेटियां धनिपरिवार में ब्याहीगयीं .
जब तक एकपीढ़ी त्याग कीभावना नहीं अपनाएगीतब तक दूसरी पीढ़ीअपना जीवन स्तरउच्च दर्जे कानहीं बना सकती. आज हरकाम में स्पर्धाहै. स्पर्धा मेंरूचि रखना जीवनके विकास काहिस्सा बन गयाहै. समय ऐसाआ गया है कीजनरल नॉलेज, कंप्यूटरट्रेनिंग, कम्पटीशन यह सबजीवन का हिस्साबन गए हैं. ग्रामीण बच्चे शहर कीतरफ यहसब प्राप्त करने केलिए भाग रहेहैं. भले हीउनकी आर्थिक परिस्थितिगरीबी की होपरन्तु उनमें उन्नति का रास्ताहासिल करने काजज़्बा है. इसकेअतिरिक्त जीवन मेंकुछ नहीं है. हर कला हर ज्ञानसमय के साथ-साथहस्तगत की जातीहै. जिन्होंने समयव सुअवसर खोदिए वे जीवनमें निराश दिखाईदेते हैं.
जीवन बनाने के लिए जोविशेष गुण मनेजाते हैं उनगुणों का होनाअत्यंत आवश्यक है. जैसेकि प्रामाणिकता, ज़िद्द, कठिन परिश्रम, जिज्ञासा, संयम केसाथ-साथ आत्मविश्वास. जिस व्यक्ति मेंयह सब गुणहैं वह व्यक्तिअपने जीवन कोसामान्य से महत्वपूर्णबना सकता है. क़ुछ लोगोंमें ऐसे व्यसनहोते हैं जिनसेछुटकारा नहीं मिलपाता. जब कष्टउठाने की बातआती है तोकिसी न किसीकारण से टाल दियाजाता है. यहअसफलता का कारण होता है. समय का सदुपयोग नहीं कियातो जीवन मेंकेवल असफलता है. इसलिए हमारे पास-पड़ोस के लोग असफल हैं. बहुत से लोगतृतीय या चतुर्थश्रेणी की नौकरियाँकरने की तरफध्यान नहीं देतेहैं. योग्यता होनेके पश्चात भीफॉर्म नहीं भरतेहैं. उम्र निकलनेतक ऊंचे पदकी आशा मेंधक्के खाते रहतेहैं. अंततः उनकेहाथों में शून्यहोता है. जबछोटी नौकरी हाथमें होगी तोपदोन्नति उसी छोटेपद से ऊपरके पद परहोनी है. फिरछोटे से पदसे ही शुरुआतक्यों न कीजाए?
ऐसे ही लोगजीवन भर कुछनहीं कर पायेऔर अंततः पश्चातापकरते रहे. कोईभी काम करतेसमय उस कामके प्रतिमन में शंकानहीं होनी चाहिएऔर उस कामके लिए अनुभवचाहिए तथा दिखानेके लिए प्रमाणभी होने चाहिए.
बच्चे एक हीपरीक्षा बार-बार देचुके हैं, फिरभी पास नहींहुए. इसका कारणमात्र पढ़ाई न करनाहै. कुछ परीक्षाएंऐसी भी हैंजिनमें पांच यादस प्रतिशत विद्यार्थीही उत्तीर्ण होपाते हैं. अपनेशैक्षणिक जीवन मेंयदि विद्यार्थियों कोउत्तीर्ण होना हैतो उसके लिएएकाग्रता से तह तक अध्ययन करना चाहिए. जब तक शिक्षानहीं पाओगे तब तकभटकते रहोगे यादूसरों पर निर्भररहोगे. फिर जीवनमें यश प्राप्तकरना है तोउसके लिए जीवनमें संघर्ष करनापड़ता है.
जीवन में संकटभी बहुत आतेहैं. इन्हे भौतिकसंकट कहा जाताहै. संकटों कासामना करना पड़ताहै. इसी मेंजीवन की सफलताहै. अच्छा वस्वादिष्ट भोजन सबकोनहीं मिलता. सबकीपत्नियां सुन्दर नहीं हैं. सबका रहन-सहन प्रशंसनीय नहींहै. इसी कारणसमाज में भेदभावव वर्गीकरण है. अपने करियर कोकैसे संवारना है, यह स्वयं सोचनापड़ेगा और संयमप्रमाणित करके दिखानापड़ेगा. आलस्य मनुष्य काशत्रु है. आलसीव्यक्ति के सामनेयश नहीं अपयश होताहै. अंततः वहयह कहकर टालदेता है कीमेरा नसीब हीनहीं है. इसमेंनसीब का कोईदोष नहीं है. दोष आलस्य काहै. बुद्धिमान व्यक्ति काचेहरा बताता हैकि वह कितना बुद्धिमानहै.
- दृष्टिकोण पुस्तक से साहित्यकार लक्ष्मण राव
Published on July 25, 2014 02:18
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