सपने और ख्याल सपने, शर्मीले, झेंपू हो?क्या हो ?रात क...



सपने और ख्याल 
सपने, शर्मीले, झेंपू हो?
क्या हो ?
रात को दबे पाँव आते हो,
नाजायज़ हो क्या?
हो तो मत आया करो...
मैं ख्यालों का मुरीद हूँ,
बेधड़क आते हैं,
कभी भी कहीं भी,
सच के आस पास ही होते हैं,
तुम्हारी तरह नहीं,
कुछ भी बताया, दिखाया
और चल दिए |
आना हो तो
खुली आँख हो
तब आया करो,
मैं परवाह करूँगा तुम्हारी |गौरव शर्मा
 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on December 20, 2014 19:04
No comments have been added yet.