Bhind Moraina!

बड़े दिनों बाद आज कुछ लिखने का मन कर रहा है और वो भी अपनी मातृभाषा हिंदी में. अक्सर आपने भिंड मोरैना की बातें सुनी होंगी. हम ज्यादातर भिंड को डाकुओं से जोड़ते हैं, और एक बाहरी इंसान के लिए भिंड का अस्तित्व केवल डाकुओं तक ही सीमित रह जाता है.


लेकिन अगर आपको किसी भिंड में रहने वाले इंसान से मिलने का वो सुनहरा अवसर मिलता है, तो आपको प्रतीत होता है कि भिंड में डाकुओं के अलावा भी बहुत सी ऐसी चीज़ें और बातें हैं जिससे आम तौर पे हम अनदेखा कर देते हैं.


और आज जिस कहानी के बारे में मैं यहाँ पे वर्णन करने वाला हूँ, वो एक ऐसे इंसान की है जिससे एक हसीं गलती हो गयी, उसे इश्क़ हो गया और वो भी किसी और मजहब की लड़की से. वैसे तो प्यार या इश्क़ करना कोई बुरी बात नहीं होती लेकिन अगर यहीं इश्क़ या यही प्यार भिंड जैसे छोटे ज़िले में किसी और मजहब की लड़की या लड़के से हो जाये, तो इस्पे तलवारे भी खिच सकती हैं.


लेकिन इश्क़ करने से पहले कोई ये तो नहीं सोचता है ना, कि इस हसीं गलती का क्या हश्र होगा. कहते हैं होनी को कौन टाल सकता है. और कुछ मायनो में ये एक होनी ही थी. अक्सर दोनों साथ में ट्यूशन पढ़ने जाते. दूर से आँखों ही आँखों में इकरार हो जाता और उस एक हँसी के लिए वो लड़का ना चाहकर भी पढाई में ध्यान देने लगता.


अपनी पुश्तो में एक लौता ऐसा लड़का जिसने पढाई करी. माँ बाप को लगा कि आने वाली पुश्ते इसी लड़के के चलते सुधर जाएंगी, पर उनको भी इस बात का बिलकुल भी इल्म ना था कि वो पढाई क्या क्या रंग दिखाने वाली थी.


दिन बीतें और फिर साल. वो दोनों बड़े होने लगे और बचपन का वो प्यार और गहरा होने लगा. भिंड में मिल पाना तो दूर अगर कोई साथ में खड़ा हुआ भी देख लेता तो कहानियां बनने लगती. नेता अपने हित में मजहब पे बात को ले आते और घर वालों तक बात पहुचने पे शमर्सार होने के अलावा उनके पास और कोई चारा ना होता.


इसलिए दोनों केवल फ़ोन पे ही बात किया करते. और एक दिन इस बात का पता सबको चल गया. मानो पैरो के नीचे से दोनों के ज़मीन खिसक गयी. लड़की का बाहर आना जाना बंद हो गया और लड़के को उसके माँ बाप ने बाहर पढ़ने भेज दिया, ये सोचके कि कहीं कुछ गलत ना हो जाये.bhind


लड़का भी अपने माँ बाप की कसमों से बंधा बाहर पढ़ने चला गया. लेकिन इश्क़ का परवान ज़ोरो पे था. दोनों छुप छुप के मिलते और हर रोज़ फ़ोन पे बात करते. इस बात की किसी को भनक भी ना होने देते. ४ साल के बाद जब वो लड़का पढाई कर और इंजीनियर बन के भिंड लौता, तो उसे पता चला कि लड़की के माँ बाप उसकी शादी के लिए रिश्ते ढून्ढ रहे हैं.


लड़के ने सोचा कि वो लड़की के माँ बाप से बात करेगा. हिम्मत जुटाके उसने लड़की के पिता को फ़ोन लगाया. और आगे कुछ ऐसा हुआ जो लड़के ने अपने सपनो में भी नहीं सोचा था. लड़की के पिता ने लड़के से विनती करी, कि वो लड़की की ज़िन्दगी से चला जाये. उन्हें इस शादी से कोई इंकार ना था, पर वो डरते थे कि भिंड जैसी छोटी जगह में अगर उन्होंने ऐसा कुछ किया तो या तो दंगे हो जायेंगे या फिर उनको भिंड छोड़ के भागना पड़ेगा.


लड़का भी दुविधा में आ गया. वैसे तो उसमें दुनिया से लड़ जाने की हिम्मत थी, लेकिन वो इस दुनिया में अकेला ना था. एक तरफ था उसका और लड़की का परिवार और दूसरी तरफ थी वो लड़की जिसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार था.


लड़की के पिता के आसुओं ने उसको बहुत प्रभावित कर दिया था. वो भिंड छोड़ दूसरे शहर नौकरी करने चला गया. लेकिन अपने को वो उस लड़की से बात करने से ना रोक सका.


आज आलम ये है, कि ४ महीने में लड़की की शादी है. लड़के के बहुत समझाने के बावजूद लड़की ने लड़के को बोल दिया है कि वो खुदखुशी कर लेगी. लड़का करे भी तो क्या करें.


क्या आप कुछ सुझाव दे सकते हैं? क्या लड़के को लड़की को भूल जाना चाहिए? या फिर उसे भगा के ले आना चाहिए?


हमारी सोसाइटी में आज भी, अगर महानगरों को छोड़ दें, तो ऐसे बहुत सारे शहर और ज़िले हैं, जहाँ मजहब के नाम पे, जातिवाद के नाम पे लोग इंसानियत भुला देते हैं.


जहाँ तक मुझे पता है, हर मजहब इंसानियत को ही मुख्य तौर पे सबको अपनाने का सुझाव देता है. फिर क्यों हम ऐसी मान्याताओं में पड़के इंसानियत भूल जाते हैं. क्यों हम अपने दिमाग का इस्तमाल ना कर कुछ लोगों के बहकावे में आ जाते हैं. क्यों हम भेड़ चाल का हिस्सा बन, इंसानियत को अनदेखा कर देते हैं.


सोचिये अगर आप के साथ ऐसा हुआ होता, तो आप क्या करते. क्या तब भी आप भिंड के अधिकतर निवासियों की तरह इंसानियत को अनदेखा कर देते और अगर आप प्रशासन में होते तब क्या आप इन दोनों का साथ नहीं देते.


सोचने की बात है. कहते हैं ज़िन्दगी आगे बढ़ जाती है, और लोग सब भूल जाते हैं. लेकिन पूछने वाली बात ये है कि क्या हम अपनी ज़िन्दगी को ऐसे आगे बढ़ता देखने के लिए तैयार हैं?


Source for Image: http://thinkingparticle.com/image/ate...


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Published on December 09, 2014 20:57
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