फैसला..

ये फैसला तेरा है अब,
खुद को पूरा का या मुझे अधूरा कर जा,
मुझे काफ़िर बना दे या मेरा खुदा बन जा
तू जब भी मिलेगा सजदा तेरे लबों का करेंगे
या थाम मुझे और सुकून देदे, या जीने की ही वजह बन जा,
यूँ न खफा हो, है फासले तेरे मेरे दरम्यान,
मुझसे वफ़ा नहीं तो मुझे बेवफ़ा कर जा..
खुद को पूरा कर या मुझे अधूरा कर जा..

अब न ज़िद होगी, न इंतज़ार तेरे आने का,
ना होगा मकसद किसी बहाने का,
तू किसी और को चाह कर भी ना पा सका
तू मेरा ना बन, मुझे मेरा कर जा..
खुद को पूरा कर या मुझे अधूरा कर जा..

बस चंद लम्हों में हट गए तेरे कदम
हाथ थाम कर बैठा था बेवजह शायद
अब थाम ही ले हाथों को,
या मुझे बेवज़ह कर जा,
खुदा बन मेरा या मुझे काफ़िर कर जा..
है फैसला तेरा, मुझे अधूरा या पूरा कर जा..

तेरी मुहोब्बत, तेरी बगावत, तेरी रंजिश, तेरी मंज़िल ही सही
मुझे हमसफ़र ना सही, मेरा सफ़र बन जा,
वापस आ और समेट बाहों में बिखरने से पहले
या सैलाब आने दे और मुझे पत्थर कर जा..
अधूरा, या पूरा, पर फैसला कर जा..

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Published on November 18, 2014 12:27
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