मेरी यादें.....
अकेले फुर्सत में, कुसी पर आँखें मूँद झूलते हुए,
ख्याल तुम्हारे इधर से उधर फुदकते तो होंगे |
यूँ ही कुछ अपनी कुछ औरों की बातें सोचते हुए,
मेरी बातें और मेरी यादें तुम्हें कुरेदते तो होंगे |
खिड़की से बाहर झांकते हुए, खली आँखें तुम्हारी,
कुछ खोजना न भी चाहें, पर खोजती तो होंगी |
जानते हुए कि मैं नहीं हूँ, फिर भी किसी को देख,
पक्का करने कि बैचैन कोशिश करती तो होंगीं |
भीगें या नहीं,यादों कि बूंदा-बांदी चुनने कहाँ देती है,
तुम भी चाहे अनचाहे मुझे याद करती तो होंगी |
सब्ज़ी में करछी घुमाते, अखबार में कुछ पड़के,
कभी तुम मुझसे खामोश बातें करती तो होंगी|
दिन में कितनी ही बार बंद मकान में धूप कि तरह,
मेरे ख्याल तुम्हारे ज़हन में जबरन घुस जाते तो होंगे |
कहा जाये न कहा जाये, चाहत का पता चल ही जाता है,
हवा में घुले मेरे छन्द मेरे प्यार का एहसास कराते तो होंगे |
Published on August 19, 2014 20:51