एक सपना ......
ऐ सपने सच होना होगा तुझको,
आंसुओं से सींचा है तुझको,
नौ मॉस नहीं नौ बरस नहीं,
युगों युगों पाला है तुझको,
पूजा परमात्मा सी की है,
मेरा पूर्ण समर्पण तुझको,
मन के गर्भ में सोया है तू,
जाग रहा हूँ मै न जाने कबसे,
आँखों में बसाये तुझको|
सावन की गीली आग लकड़ियों सा,
शरद की सूखी पत्तियों सा,
मर रहा हूँ जीने को तुझको,
पिघला विषाद पी रहा हूँ,
आकृति में पा लूँ तुझको,
सपने सच होना होगा तुझको|
Published on May 20, 2014 02:05