कविता मेरी सुन लेना....
मेरे जीवन कि जब वो शाम आये,
जिसकी...

कविता मेरी सुन लेना....
मेरे जीवन कि जब वो शाम आये,
जिसकी सुबह न होनी हो,
उस रात मेरे सपनो में तुम,
आकर कविता मेरी सुन लेना|
मैं सारी रात गाऊंगा
तुम सारी रात सुन लेना,
अपने गीतों और छंदों में,
बस तुमको ही सराहूंगा,
तुम बस मुझको सुन लेना|
मुझ पर मृत्यु का पहरा होगा,
यमराज मेरी साँसों की,
उलटी गिनती करता होगा,
मैं फिर भी निर्भय  होकर
गाऊंगा,
तुम बस मुझको सुन लेना|
तरन्नुम में कहोगी तरन्नुम में,
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Published on January 22, 2014 03:45
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