आप के हुश्न-ओ-शबाब को गौर से निहारा जाये
तमन्ना हुवा आज आपको खुद संवारा जाये
क्या काजल से कुछ धब्बे बना लेँ रूखसार पर?
और हकिकत मे चाँद को जमीन पर उतारा जाये
आप की जुल्फों को देक के कहने लगा है दिल
इन्ही लटों पे नशेमन बना के जिन्दगी गुजारा जाये
आप मुस्कुरायेँ तो न शरमाये, शरमायेँ तो न मुस्कुरायेँ
बर्ना हम से आपको देखा जाये न पुकारा जाये
आपकी हुश्न का जवाब खुद हुश्न से भी नही है
ख्वाहिस है मुझ से दूर न कभी ये नजारा जाये
आपकी तरह हम ने भी आँखोँ से बोलना चाहा है
समझ लिजिएगा बेकार न मेरा इशारा जाये
मालूम नही होता फूलोँ का शबाब बगैरह खुस्बु के
आइये मुहब्बत से हुश्न-ओ-इश्क को निखारा जाये
मैने जाना नामुमकिन है उन को सवाँर लेना
तुम ही बताओ, सुमन! बहार को कैसे बुहारा जाये
Date written- June 1995
Suman Pokhrel
Published on August 29, 2013 08:06