आते तो सब हैं यहाँसाथ लेकर अनगीनत दिएकुछ नन्हे ख़्वाब लिएकुछ सीने में समंदर लिए हैं सब तनहा यहाँअकेलों के मेले मेंढूंढते हैं कोई अपनाजो थामे हाथ अँधेरों में भोर भई तो कस लिएबख्तर बतौर बूते केशाम जब उम्मीदें ढलीलिप्त हुए दरकारों में एक चेहरे से दूसरायह दुविधा है पुश्तों कीइस शहर में हर कहींज़िन्दगी…
Published on October 21, 2023 04:30