आओ तुम्हें मैं लोरी सुनाऊं
सपनों की सुंदर सी दुनिया सजाऊं
अच्छा तो तुमको, लाल रंग पसंद है
सच कहूं, मुझको थोड़ा सा लगता डर है
रुको, बैठो, न यूं उठ के जाओ
पलकों को मूंदे मेरे पास आओ
छाती पे मेरी कान धरो अब
क्या सुना तुमने, थोड़ा मुझे भी बताओ
क्या कहा, कहीं कोई आवाज़ नहीं है
कांच की बोतलें टूटती, पर चींखती नहीं हैं
हर तरफ लहू है, पर लाल रंग का नहीं है
रंगरेजों ने ही यकीनन ये रंग चुराया
लाल चुनियों से फिर बाज़ार सजाया
मैं भी डर छोड़, तेरे साथ चलता हूं
राह तेरी सही, वही राह पकड़ता हूं
आज हमारे हाथ मिलाने का दिन है
चुनियों से रंग उड़ाने का दिन है
-ऋजुता
Published on August 04, 2023 14:17