वो चिट्ठियाँ जो लिखी ही नहीं...


Photo: My watercolour painting


अच्छा, सुनो!

उस दिन क्या कहा था तुमने? जब हम गंगा के तट पर मिले थे। पीली साड़ी में तुम ऐसी लग रही थी मानो तुमपर सुबह का सुनहरा रंग उतर आया हो। और जब तुम बातें कर रही थी तो जैसे तुम्हारी आँखों में लहरों की चंचलता थिरकने लगी। और फिर...तुमने मेरी आँखों में देखा तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे मन के अंधेरे कोने रौशन हो उठे हों। मैंने नज़रें हटा लीं, और मेरे अंदर एक अजीब सा मीठा शोर उमड़ने लगा। 

जब मैं तुम्हें देखता हूँ तो कुछ सुन नहीं पाता। जानता हूँ कि ये आदत अच्छी नहीं। अगली बार...

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Published on March 31, 2023 12:44
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