कविता (लावणी छंद)
कुछ पल की खुशियों को पाकर, दीवाने तो होते सब।दीवाना बन कर आया हूं, होश नहीं था मुझको तब।।दिन को रात, रात को दिन सब, खुद को यही बताता था।सुनने को उसकी बातों को, अपनी बात सुनाता था।।
उसकी आँखों में खोने को, खुद से ही तकरार किया।खुद की ही नजरो से बच कर, उसको मैने प्यार किया।।उसको नहीं पता था कुछ भी, प्यार व्यार क्या होता है।दिल की सुनना क्या होता है, दिलजानी क्या होता है।।
क्या होता नज़रों का मिलना, दिल का मिलना होता क्या। नज़रों से बातों को करना, नज़रों से होता क्या क्या।।दि...
Published on February 10, 2022 03:29